गैस्ट्रोकॉन-24 : कॉन्फ्रेंस में पैनक्रियाटिस, सिरोसिस, गैस्ट्रो कैंसर, लीवर फाइब्रोसिस जैसी बीमारियों को लेकर विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव, प्रस्तुत किए अपने शोध


कॉन्फ्रेंस के दौरान बिना चीर-फाड़ के इंडोस्कोपी विधि से की गई जटिल सर्जरी, सम्मेलन में लाइव सर्जरी से डॉक्टराें ने सीखे एडवांस तकनीक, चिकित्सकों द्वारा पूछे प्रश्नों के जवाब भी दिए।

खबर झारखंड, रांची : इंडियन सोसायटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी द्वारा डोरंडा के शौर्य सभागार में दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस गैस्ट्रोकॉन-24 की शुरूआत शनिवार को हुई। कॉन्फ्रेंस में झारखंड के अलावा दूसरे राज्यों से पेट व लीवर के सैकड़ों विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हुए। सम्मेलन के पहले दिन 20 से ज्यादा टॉपिक पर विभिन्न बीमारियों पर चिकित्सकाें ने अपने प्रेजेंटेशन दिए। हर प्रेजेंटेशन के बाद डिस्कशन सेशन का भी आयोजन किया गया, जिसमें  सम्मेलन में शामिल चिकित्सकों ने प्रेजेंटेशन से संबंधित सवाल भी पूछे। डॉ. अनिकेत कुूमार ने बेसिक हेपेटोलॉजी टॉपिक पर व्याख्यान दिया। डॉ. रविश रंजन ने नॉन इनवेसिव मार्कर्स ऑफ लीवर फाइब्रोसिस के ऊपर, डॉ. चंदन कुमार ने सिरोसिस और इससे हाेने वाली समस्याओं पर प्रस्तुति दी। डॉ. अमिया रंजन ने सिरोसिस में हाइपोनेट्रेमिया बीमारी के कारण व उपचार के बारे जानकारी दी। रांची के डॉ. तापस साहू ने क्रिटिकल केयर इन एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस के बारे बताया। उन्होंने बताया कि एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस अग्नाशय में अचानक होने वाली सूजन है, जो कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है। पित्ताशय की पथरी और अल्कोहल का भारी सेवन एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के मुख्य कारण हैं। तेज पेट दर्द सबसे प्रमुख लक्षण है। खून की जांच और इमेजिंग टेस्ट, जैसे कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी से डॉक्टर को इलाज करने में मदद मिलती है। उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में बीमारी के उपचार के ऊपाय के बारे अपने अनुभव साझा किए।

ऑर्किड अस्पताल के ओटी से मरीजों की हुई लाइव सर्जरी, कॉन्फ्रेंस में सीधा प्रसारण
ऑर्गनाइजिंग को-चेयरपर्सन डॉ. जयंत घोस ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दौरान ऑर्किड अस्पताल के ओटी से आधा दर्जन मरीजों की लाइव सर्जरी की गई। इसमें पीत्त की नली में स्टोन, पैनक्रियाज में स्टोन, खाना घोटने में होने वाली दिक्कत की सर्जरी आदि बिना चीर-फाड़ के यानी एंडोस्कोपी विधि से किया गया। ये सभी सर्जरी बाहर से आए एक्सपर्ट ने रांची के डॉक्टरों के साथ मिलकर किया, जिससे यहां के डॉक्टरों को काफी नए तकनीक सिखने को मिले। इसका उद्देश्य है कि बाहर की एडवांस तकनीक को यहां के डॉक्टर भी सिखकर खुद को डेवलप कर सके। 


आंत, पेट व लीवर के विशेषज्ञोंं ने साझा किए अपने अनुभव
डॉ. जयंत घोस ने बताया कि दिल्ली, पटना, कोलकाता, लखनऊ समेत अन्य जगहों से पेट, लीवर व आंत के विशेषज्ञ पहुंचें है, ये सभी यहां हमारे काम करने का तरीका देखेंगे साथ ही अपना अनुभव साझा करेंगे। पहले दिन जिन मुख्य विषयों पर चर्चा हुई उसमें लीवर से संबंधित बीमारियां, पैनक्रियाज से संबंधित बीमारियां, इसोवेगस (खाने की नली) से संबंधित बीमारियाें के बारे आलोचना की गई। 

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